ओडिशा ट्रेन हादसे के बीते 12 दिन हो चुके हैं। आज भी 75 मृतकों के परिजनों को शवों का इंतजार है। बिहार के पूर्णिया जिले के एक दिहाड़ी मजदूर बिजेंद्र ऋषिधर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में अपने इकलौते बेटे सूरज कुमार ऋषिधर की मौत के बारे में जानने के बाद ओडिशा पहुंचे। उन्होंने उस लंबे इंतजार की कल्पना नहीं की थी। सूरज काम करने के लिए चेन्नई जा रहा था। वह भी हादसे का शिकार हुआ। लेकिन आज तक पिता को लाश नहीं मिली है।
पश्चिम बंगाल के मालदा के अशोक रबी दास अपने छोटे भाई कृष्णा रबी दास (20) के क्षत-विक्षत शव को वापस ले जाने के लिए पिछले 9 दिनों से एम्स भुवनेश्वर का चक्कर लगा रहे हैं। अशोक 4 जून को बेल्ट, जींस पैंट और शर्ट से अपने छोटे भाई की पहचान कर सका था। इसके बावजूद शव नहीं दिया गया
ओडिशा ट्रेन हादसे: 12 दिनों के बाद भी नहीं मिला अपनों का शव, DNA टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार
भारतीय रेलवे के एक दुखद ट्रेन हादसे ने ओडिशा राज्य को अपने आँगन में ले लिया है। दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी को उलट देने वाली इस दुर्घटना में बहुत सारे लोगों की मौत हो गई और उनके परिवारों को उनके अपनों का शव भी नहीं मिल पा रहा है। यह दुखद समाचार देश भर में आँधी-तूफान बन गया है और इसे सुलझाने के लिए कार्यवाही की मांग की जा रही है।
बिजेंद्र ऋषिधर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में अपने बेटे सूरज कुमार की मौत की खबर सुनकर उन्हें ओडिशा आना पड़ा। उन्होंने शव को पहचानने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया। इसके बावजूद, उन्हें अभी तक अपने बेटे की लाश नहीं मिली है। उनके साथ ही अन्य परिवारों को भी उनके अपनों का इंतजार करना पड़ रहा है।
ओडिशा ट्रेन हादसे: डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार, 12 दिनों के बाद भी नहीं मिला अपनों का शव
ओडिशा ट्रेन हादसे: डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार, 12 दिनों के बाद भी नहीं मिला अपनों का शव
ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे के बाद, परिजनों को अपने प्रियजनों के शव का इंतजार करना पड़ रहा है। इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई है और उनके परिजनों को अपने प्रियजनों को शांति देने के लिए शव की वापसी की उम्मीद है। हालांकि, अभी तक डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है जिसके कारण इस मामले में देरी हो रही है।
इस हादसे में पीड़ित परिवारों को अपने प्रियजनों के शव को पहचानने के लिए डीएनए टेस्ट की आवश्यकता हुई है। इसके लिए बॉडी संगठन के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। अपने प्रियजनों के शव को पहचानने के लिए उनके आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्रों का उपयोग किया जा रहा है। इसके बावजूद, डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार करने के बाद भी अभी तक कुछ परिजनों को अपने प्रियजनों के शव को लेने में समस्या
उत्पन्न हो रही है। 12 दिनों के बाद भी डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट मिलने में देरी होने के कारण, परिजनों को अपने प्रियजनों के शव को अंतिम संस्कार देने में विलंब हो रहा है। यह स्थिति परिवारों को त्रासदी और दुख का सामना करने के लिए कठिनाईयों का सामना करा रही है।
उप्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में जल्दी से समाधान करने का आश्वासन दिया है। वे कहते हैं कि अत्यावश्यकता होने पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि परिजनों को उचित समय पर शव को ले जाने की सुविधा मिल सके।
इस संकटमय स्थिति के मध्य, सामुदायिक संगठन, स्थानीय अधिकारियों और स्वयंसेवी संगठन ने एकजुट होकर सहायता कार्य में योगदान दिया है।
ट्रेन हादसे के बाद शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत
ओडिशा ट्रेन हादसे में शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में देरी और डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के लंबे इंतजार के मामले ने अपनों को गहरी दुःख और संताप में डाल दिया है। इस दुःखद घटना ने उनकी असहायता को उजागर किया है और शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत को दिखाया है।
शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में होने वाली देरी के कारण परिजनों को अपने अपने प्रियजनों के शवों को नहीं मिल पा रहे हैं। इसके बाद से, उन्हें अपने प्रियजनों के शवों का इंतजार करने के लिए दिनों तक बिताना पड़ रहा है। इसके अलावा, डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार भी इस प्रक्रिया को और लंबा बना रहा है। यह मामला इंसानी और मानसिक दुःख का कारण बन रहा है और लोगों को अपनों का शव नहीं मिलने का आभास हो रहा है।
धार करने के लिए कठिनाइयों को समझने और दूर करने की जरूरत है। कुछ महत्वपूर्ण सुधारों को अपनाने के माध्यम से शवों के निर्वहन की प्रक्रिया को सुचारू बनाने की कोशिश की जा रही है:
- तत्परता और व्यवस्था: शवों के निर्वहन की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए, सरकार और संबंधित अधिकारिकों को तत्परता और व्यवस्था को बढ़ाने की जरूरत है। शवों की तत्परता से और अपने निर्धारित समय में निर्वहन करने के लिए उपयुक्त सुविधाएं और संसाधनों का निर्माण किया जाना चाहिए।
- तकनीकी और वैद्यकीय सुधार: शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में तकनीकी और वैद्यकीय सुधार करना महत्वपूर्ण है। इसमें शवों के सुरक्षित, व्यावहारिक और गंभीर स्थितियों में निर्वहन करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना शामिल होता है। इसके साथ ही, शवों की पहचान और परिवर्तनशीलता को सुधारने के लिए वैद्यकीय प्रक्रियाओं को अद्यतित किया जाना चाहिए।
सामाजिक सहायता और सहयोग: शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए सामाजिक सहायता
सहयोग भी महत्वपूर्ण हैं। परिजनों को शवों के निर्वहन के लिए आवश्यक विवरण, तकनीकी ज्ञान और संसाधनों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। समुदाय के सदस्यों और स्थानीय संगठनों का सहयोग प्राप्त करना चाहिए जो शवों के निर्वहन में मदद कर सकते हैं। सामाजिक सहायता नेटवर्क को सुशासित करने और संगठन करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को सहयोग प्रदान करना चाहिए।
- अवसरों का बढ़ावा: शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए, शवों को निर्वहन करने के लिए अवसरों का बढ़ावा देना चाहिए। संगठनित रूप से शवों की प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिए अधिक संबंधित अधिकारियों और संस्थाओं के साथ मिलना चाहिए।
- करना चाहिए। इसके लिए, सरकारी निर्देशानुसार शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में अधिक स्पष्टता और सहयोग के लिए गाइडलाइन और निर्देशों का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा, अधिक संगठनित तरीके से शवों के निर्वहन की जानकारी प्रदान करने के लिए सार्वजनिकता को जागरूक किया जा सकता है।
- संबंधित अधिकारियों का सहयोग: शवों के निर्वहन की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए, संबंधित अधिकारियों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। शवों के निर्वहन के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी द्वारा सुविधाओं, तकनीकों, विवरणों, और निर्देशों के संचालन का सुनिश्चित होना चाहिए। संबंधित अधिकारियों के बीच सटीक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि शवों के निर्वहन की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए सही कार्रवाई की जा सके।