कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए लॉकडाऊन और नाईट कर्फ्यू लगने से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं और इसकी वजह से फिर रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है.
नई दिल्ली: देश में बढ़ते कोरोना संकट (Corona Crisis) और दूसरी लहर से निपटने के लिए दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में लॉकडाऊन (Lockdown) और नाईट कर्फ्यू ने अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का आंकलन है कि इस वजह से 72.50 लाख से अधिक नौकरियां (Unemployment) चली गयीं. कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए लॉकडाऊन और नाईट कर्फ्यू लगने से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं और इसकी वजह से फिर रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के मैनेजिंग डायरेक्टर महेश व्यास ने एनडीटीवी से कहा, ‘लॉकडाऊन की वजह से मार्च की तुलना में अप्रैल महीने में करीब 70 लाख नौकरियां चली गयीं.
अप्रैल, 2021 में करीब 28 लाख सैलरी वाली नौकरियां चली गयीं. जबकि इस दौरान 6 लाख डेली वेज वर्करों का रोज़गार छिन गया.’ हालांकि CMIE का मानना है कि बेरोज़गारी का संकट पिछले साल के तालाबंदी के स्तर का नहीं है. जब बेरोजगारी दर 24 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गयी थी. CMIE का आंकलन है की अप्रैल में कृषि क्षेत्र में सीजनल कारणों से करीब 60 लाख रोज़गार के अवसर घटे जबकि इस महीने में करीब 20 लाख लोगों ने सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट के ज़रिए अपना रोज़गार खड़ा किया. कोविड के कारण अप्रैल में घरेलू व्यापार को 6.25 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. उधर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि अप्रैल महीने में कोविड महामारी के कारण देश में घरेलू व्यापार को 6.25 लाख करोड़ के व्यापार न होने का नुकसान हुआ है.
केंद्र एवं राज्य सरकारों को भी कुल मिलाकर लगभग रुपये 75 हजार करोड़ के राजस्व के नुकसान का अनुमान है. इस दौरान खुदरा व्यापार को 4.25 लाख करोड़ जबकि थोक व्यापार को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान है. जाहिर है, रोजगार के मोर्चे पर स्थिति आगे भी चुनौतीपूर्ण बनी रहेगी.