भारतीय उपमहाद्वीप को धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का देश माना जाता है, और इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है सनातन धर्म. सनातन धर्म के एक महत्वपूर्ण आधारपिलर के रूप में गीता का महत्व अत्यंत गर्व के साथ देशवासियों ने स्वीकारा है. गीता, महाभारत के एक अद्वैतीय हिस्से के रूप में अपनी प्रमुखता को बनाए रखी है और इसे विश्वव्यापी धर्मग्रंथ के रूप में मान्यता दी गई है.
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित गीता प्रेस एक ऐसी संस्था है जो बहुत समय से अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। इस संस्था की स्थापना ब्रह्मविद्या निकेतन द्वारा 1923 में की गई थी और इसके बाद से ही यह गीता के अध्ययन, प्रचार और प्रसार का कार्य कर रही है।
यूपी के मुख्यमंत्री, श्री योगी आदित्यनाथ, ने हाल ही में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में भाग लेते हुए कहा है कि गीता प्रेस ने अपनी 100 वर्षीय यात्रा को गर्व से आगे बढ़ाया है। यह संस्था देशवासियों के लिए सनातन भारत की एक जीवंत उदाहरण है, जिसने अपने संकल्पों के साथ कार्य करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण मानते हुए बताया कि इस समय तक कोई प्रधानमंत्री गीता प्रेस में नहीं आए हैं, क्योंकि यह संस्था सनातन भारत की एक अनुमार्गी बनी हुई है। वह इसके बारे में गर्व से बताते हैं कि विगत 75 वर्षों में किसी प्रधानमंत्री ने गीता प्रेस में स्वयं को सम्मिलित नहीं किया है।
इस उपलब्धि के बावजूद, योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वे नये भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी यात्रा जारी रखते हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्ग का अनुसरण करते हुए विश्व की सबसे बड़ी ताकत के रूप में खुद को स्थापित कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सभी ने बीते 9वर्षों में भारत के विकास की यात्रा के साथ-साथ आस्था और विरासत को मिल रहे सम्मान और वैश्विक स्तर पर मिल रही पहचान को देखा है। इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ ने योग को भारतीय सभ्यता का एक अत्यंत प्राचीन विधा माना है, जिसे पहली बार वैश्विक मान्यता मिली है। उन्होंने इस बात की भी जिक्र किया कि 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे प्रधानमंत्री जी के प्रस्ताव को वैश्विक मान्यता मिली है।
इस समारोह के पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गोरखपुर पहुंचकर इस अवसर को गणतंत्र दिवस के रूप में आयोजित किया। उन्हें गोरखपुर एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वागत किया। गोरखपुर में लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की अद्यतन लेने के लिए सड़कों पर लंबी कतारें बनाई हुई हैं।
गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर संबोधन किया और इस महत्वपूर्ण संस्था की यात्रा की महत्वाकांक्षा को दर्शाया। उन्होंने गीता प्रेस को सनातन भारत का एक जीवंत उदाहरण कहा है और इसके संकल्पों के साथ उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में इसे स्थापित किया है। उन्होंने इस अवसर पर योग की महत्वता पर भी बल दिया और इसे भारतीय सभ्यता की प्रमुख विधा माना है।
इस तरह से, गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षों के यात्रा में विशेष महत्वपूर्णता हासिल की है और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह अद्वितीय संस्था सनातन भारत के मूल्यों और धार्मिक आदर्शों के प्रतीक के रूप में मजबूती से आगे बढ़ी है।
गीता प्रेस: सनातन भारत की शताब्दी समारोह में गौरव और योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण भूमिका
गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी और यह सनातन धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथ भगवद्गीता के अध्ययन, प्रचार और प्रसार का कार्य कर रही है। यह संस्था सनातन भारत की प्राचीनतम और महत्वपूर्ण विरासतों में से एक है और अपने समाजसेवा के क्षेत्र में मशहूर है।
योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, ने हाल ही में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में भाग लिया और उसने इस महत्वपूर्ण संस्था को सनातन भारत के जीवंत उदाहरण के रूप में वर्णित किया। उन्होंने गीता प्रेस की 100 वर्षीय यात्रा के गर्व के साथ उसकी महत्वपूर्णता को मान्यता दी। उन्होंने यह भी कहा कि इस समय तक किसी प्रधानमंत्री ने गीता प्रेस में स्वयं को सम्मिलित नहीं किया है, क्योंकि यह संस्था सनातन भारत की एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
योगी आदित्यनाथ ने इस महत्वपूर्ण संस्था को सनातन भारत के मूल्यों और धार्मिक आदर्शों के प्रतीक के रूप में स्वीकारा है और उनके नेतृत्व में यह संस्था विश्व की सबसे बड़ी ताकत बनी हुई है। उन्होंने इस अवसर पर योग की महत्वता पर भी बल दिया और इसे भारतीय सभ्यता की प्रमुख विधा माना है।
गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षों के यात्रा में विशेष महत्वपूर्णता हासिल की है और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इसे सनातन भारत की गरिमा का प्रतीक बनाया है। उनकी भूमिका ने इस संस्था को एक महत्वपूर्ण जगह दिलाई है और इसकी प्रगति और सेवाओं को बढ़ावा दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी है और उन्होंने बताया कि यह संस्था सनातन भारत की शानदार प्रतिष्ठा है। उन्होंने गीता प्रेस को नवीन भारत के प्रधानमंत्री के मार्ग का अनुसरण करते हुए विश्व की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि गीता प्रेस ने अपने संकल्पों के साथ-साथ आस्था, विरासत और पहचान को गर्व से संगठित किया है।
योगी आदित्यनाथ ने इस समारोह में गीता प्रेस के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की और उनके समर्पण और सेवाभाव को सराहा। उन्होंने बताया कि गीता प्रेस ने विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य, और युवा प्रशिक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने इस मौके पर गीता प्रेस की उद्यमिता, समर्पण, और सामाजिक प्रभाव को गर्व से स्वीकारा है।
गीता प्रेस का शताब्दी समारोह एक महत्वपूर्ण और गर्व का क्षण है, जिसमें योगी आदित्यनाथ ने भाग लेकर इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाया है। इस समारोह में गीता प्रेस की 100 वर्षीय यात्रा का सम्मान किया गया है और यह भारतीय सभ्यता, आदर्शों, और विरासत के अद्वितीय प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त कर रही है। योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण भूमिका ने इस समारोह को और उच्चतम स्तर पर उठाया है और गीता प्रेस के समर्पण को मान्यता दी है।
गीता प्रेस: धार्मिक संस्था के महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा और योगी आदित्यनाथ के संकल्पों की महत्वपूर्णता
गीता प्रेस ने अपने सौ साल के यात्रा में धार्मिकता, संस्कृति और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संस्था का महत्व उत्कृष्ट रूप से योगी आदित्यनाथ ने प्रशंसा की है। उन्होंने गीता प्रेस के कार्यकर्ताओं की मेहनत, समर्पण और सेवाभाव को सराहा है और इसे एक प्रशंसनीय संस्था के रूप में बताया है।
गीता प्रेस ने विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संस्था विद्यालय, धार्मिक आश्रम, चिकित्सालय, पुस्तकालय, योग शिविर, वृद्धाश्रम, गौशाला और अन्य समाजसेवा केंद्रों के उपयोगकर्ता है। इससे सामाजिक संस्थाओं, शिक्षाविद्यालयों और साधारण लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का ज्ञान, शिक्षा और सेवा मिली है।
योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस के संकल्पों की महत्वपूर्णता को बताया है। इस संस्था की स्थापना और उनके संकल्पों ने धार्मिक संस्कृति, साहित्य, विचारधारा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने इस संस्था को सनातन भारत के मूल्यों और आदर्शों के रूप में स्वीकारा है और इसे नवीन भारत के मार्ग का अनुसरण करते हुए विश्व की सबसे बड़ी ताकतों में से एक के रूप में स्थापित किया है।
इस तरह, गीता प्रेस को योगी आदित्यनाथ ने उनके योगदान की प्रशंसा देते हुए एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में मान्यता प्रदान की है और इसके संकल्पों को महत्वपूर्ण बताया है जो धार्मिक संस्कृति और सेवा के क्षेत्र में अपार महत्व रखते हैं।
गीता प्रेस ने अपने सौ साल के यात्रा में धार्मिकता, संस्कृति और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संस्था का महत्व उत्कृष्ट रूप से योगी आदित्यनाथ ने प्रशंसा की है। उन्होंने गीता प्रेस के कार्यकर्ताओं की मेहनत, समर्पण और सेवाभाव को सराहा है और इसे एक प्रशंसनीय संस्था के रूप में बताया है।
गीता प्रेस ने विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संस्था विद्यालय, धार्मिक आश्रम, चिकित्सालय, पुस्तकालय, योग शिविर, वृद्धाश्रम, गौशाला और अन्य समाजसेवा केंद्रों के उपयोगकर्ता है। इससे सामाजिक संस्थाओं, शिक्षाविद्यालयों और साधारण लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का ज्ञान, शिक्षा और सेवा मिली है।
योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस के संकल्पों की महत्वपूर्णता को बताया है। इस संस्था की स्थापना और उनके संकल्पों ने धार्मिक संस्कृति, साहित्य, विचारधारा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने इस संस्था को सनातन भारत के मूल्यों और आदर्शों के रूप में स्वीकारा है और इसे नवीन भारत के मार्ग का अनुसरण करते हुए विश्व की सबसे बड़ी ताकतों में से एक के रूप में स्थापित किया है।
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गीता प्रेस: सनातन भारत के संस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के अद्वितीय संवर्धन का केंद्र
गीता प्रेस एक ऐसा संस्थान है जो सनातन भारत की संस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संवारने का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस संस्था का उद्देश्य भगवद्गीता के सिद्धांतों, आध्यात्मिक ज्ञान और भारतीय धर्म के महत्वपूर्ण विषयों को अध्ययन, प्रचार और प्रसार करना है।
गीता प्रेस ने अपने सौ साल के अवधि में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है और सनातन भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, प्रशासनिक व्यवस्था और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संस्था गीता के अध्ययन और उसके सिद्धांतों को सार्थक और जीवन्त बनाने का प्रयास करती है ताकि लोग इसे अपने जीवन में उतार सकें और एक धार्मिक एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में, योगी आदित्यनाथ ने इस संस्था की महत्वपूर्णता को मान्यता दी है। उन्होंने गीता प्रेस को सनातन भारत के संस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के आधार के रूप में प्रशंसा की है और उसके महत्वपूर्ण योगदान की बड़ी सराहना की है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गीता प्रेस ने अपने कार्यक्रमों, पुस्तकों और अध्ययन मैटेरियल के माध्यम से लोगों को सनातन धर्म, आध्यात्मिकता और भारतीय धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों के प्रति जागरूक किया है।
गीता प्रेस को योगी आदित्यनाथ ने सनातन भारत की संस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के अद्वितीय संवर्धन का केंद्र माना है। इस संस्था के माध्यम से गीता के महत्वपूर्ण संदेशों का प्रचार और प्रसार किया जाता है, जो सनातन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के मूल्यों को सजीव रखने में मदद करता है। गीता प्रेस एक सम्पूर्ण योगदान देता है