र्रुखाबाद के पूर्व विधायक को एमपी एमएलए कोर्ट ने 3 साल की सजा और 8 लाख रुपए का जुर्माना सुनाया है। इस घटना की सुनवाई का फैसला अदालत ने दिया है, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा काटनी होगी। यह मामला 9 साल पहले हुई घटना के संबंध में है।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के पूर्व विधायक विजय सिंह को एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश कृष्ण कुमार द्वारा एक मामले में दोषी पाया गया है। घटना के अनुसार, विजेंद्र सिंह तोमर नामक व्यक्ति की मौत के बाद, उनके पुत्र राहुल तोमर ने हत्या और चोरी के आरोप में मामला दर्ज कराया था। पुलिस की जांच में यह सामने आया कि इस मामले में विजय सिंह को 4.5 लाख रुपए दिए गए थे, जिनके बदले में उन्होंने राहुल को नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन विजय सिंह ने नौकरी नहीं दी और पैसे भी वापस नहीं किए। इसके बाद राहुल ने मामले की जांच के दौरान आत्महत्या की बात कही थी।
पी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश कृष्ण कुमार ने इस मामले में सुनवाई करते हुए तत्कालीन विधायक विजय सिंह को दोषी ठहराया है। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें 3 साल की कारावास की सजा सुनाई गई है और उन्हें 8 लाख रुपए का जुर्माना भी भुगतना होगा। यह फैसला विजय सिंह पर सुनाई गई गोली मारने के मामले के आधार पर हुआ है।
घटना के अनुसार, विजय सिंह तोमर एक ड्राइवर थे और उनकी मौत 26 जून 2014 को हुई थी। उनके पुत्र राहुल तोमर ने मृतक के अंगूठे से सोने की चेन और हाथ की अंगूठी चुराने का आरोप लगाया था। जब पुलिस जांच कर रही थी, तो यह बात सामने आई कि विजय सिंह ने अपने पुत्र की नौकरी के लिए 4.5 लाख रुपए विजय सिंह को दिए थे, लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं दी और पैसे वापस नहीं किए। राहुल को रुपए वापस मांगने पर धमकी मिली थी।
“फर्रुखाबाद मामला: पूर्व विधायक को 3 साल की सजा व 8 लाख जुर्माना, एमपी एमएलए कोर्ट का आदेश”
फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक महत्वपूर्ण मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने एक पूर्व विधायक को 3 साल की कारावास सजा दी है और उसे 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले की सुनवाई दरअसल 9 साल पहले हुई घटना के संबंध में हुई थी, जिसके चलते इस सजा की घोषणा की गई है। यह फैसला विजय सिंह पर गोली मारने के मामले में हुआ दोषी ठहराए जाने के आधार पर हुआ है।
इस मामले में घटित घटना के अनुसार, विजय सिंह तोमर बालाजीपुरम आश्रम रोड के कोतवाली मैनपुरी के निवासी थे और उन्हें ड्राइवर के रूप में काम करते देखा जाता था। यह घटना 26 जून 2014 को सुबह 7:30 बजे घटी, जब उन्हें एक गोली लगी और उनकी मौत हो गई।
अंगूठी लूटने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस की विवेचना के दौरान, यह सामने आया कि विजय सिंह तोमर ने अपने पुत्र राहुल की नौकरी के लिए तत्कालीन विधायक विजय सिंह को 4.5 लाख रुपये दिए थे, लेकिन नौकरी नहीं मिली और पैसे भी वापस नहीं हुए। उसके बाद उन्हें धमकी मिली थी।
यह मामला एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई के लिए चल रहा था। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश कृष्ण कुमार ने तत्कालीन विधायक विजय सिंह को रुपये लेकर नौकरी नहीं लगवाने और पैसे वापस नहीं करने के दोषी ठहराया। उसने उन्हें 3 साल की कारावास की सजा सुनाई और 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला मामले की गंभीरता को देखते हुए दिया गया है।
यह मामला देश में राजनीतिक मंचों पर भी बहुत चर्चा का विषय बन गया है। एक पूर्व विधायक के खिलाफ ऐसा आरोप लगाना और उसे सजा सुनाना व्यापक राजनीतिक उतापी को पैदा करता है।
फर्रुखाबाद मामला: पूर्व विधायक की सजा और जुर्माना ने राजनीतिक चर्चाओं में उठाए सवाल
फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में हाल ही में हुए मामले में एक पूर्व विधायक को 3 साल की सजा और 8 लाख रुपये का जुर्माना सुनाया गया है। इस मामले ने राजनीतिक मंचों पर भी भयंकर विवाद उत्पन्न किया है, जहां सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह फैसला न्यायपूर्ण है या राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का एक हथकंडा है।
इस मामले की घटना 9 साल पहले हुई थी, जब पूर्व विधायक विजय सिंह तोमर के पुत्र राहुल तोमर को नौकरी के लिए पैसे देने के बावजूद नौकरी नहीं मिली थी। यह मामला एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहा था, जहां तत्कालीन विधायक विजय सिंह को रुपये लेकर नौकरी नहीं लगवाने और पैसे वापस नहीं करने के आरोप में दोषी ठहराया गया। उन्हें 3 साल की कारावास की सजा सुनाई गई और 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया
यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया के आधार पर किया गया है और इसे मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
इस मामले के आगे बढ़ते हुए राजनीतिक चर्चाओं में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या इसमें राजनीतिक हथकंडे की खाली जगह छोड़ी गई है। कई राजनीतिक दलों ने इस फैसले को अपने फायदे के लिए उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि यह एक पोलिटिकल वेंडेटा है जिसका उपयोग विपक्ष को घातक रूप से कर सकता है।
इस मामले की सुनवाई और फैसले के बाद विजय सिंह तोमर के परिवार की आशा है कि न्याय मिलेगा और उनके पुत्र की मौत का न्याय संपन्न होगा। वहीं, तत्कालीन विधायक विजय सिंह के समर्थक दल इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यह न्यायपूर्ण नहीं है और पार्टी के खिलाफ साजिश है।
यह मामला एक बड़ी संदिग्धता को उजागर करता है जो न्याय प्रणाली और राजनीतिक मनोविज्ञान के मध्ये मौजूद है।