उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव बाद किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया तथ्य, ”मोदी के जादू” ने 37 वर्षों बाद किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे तब उनके लिए विकास और सरकारी कामकाज शीर्ष प्राथमिकता में थे, जबकि राममंदिर और हिंदुत्व का उन पर अधिक प्रभाव नहीं था. यह बात चुनाव बाद किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वेक्षण के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार की तुलना में केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रति लोगों में तीन गुना ज्यादा आकर्षण था और ”मोदी के जादू” ने 37 वर्षों बाद किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की.
लोकनीति-सीएसडीएस चुनाव सर्वेक्षण कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के एक नए समूह की ओर भी इशारा करता है, जैसे कि किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, सभी जाति और धर्म के लोगों को मुफ्त राशन योजना के लाभार्थी, जिसने सत्तारूढ़ दल को तरजीह दी. व्यापक डेटा संग्रह में एक महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आया, वह यह है कि चुनाव पूर्व सभी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा को किसानों, ब्राह्मणों के बीच अधिक समर्थन मिला. साथ ही भाजपा ने अनुसूचित जातियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाई, यहां तक कि मायावती के मूल ‘वोट बैंक’ जाटवों के बीच भी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार फिर से निर्वाचित होकर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने तीन दशक पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इस सवाल पर कि आकार और भौगोलिक पहुंच के मामले में सर्वेक्षण कितना विश्वसनीय था, इस पर ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज में लोकनीति कार्यक्रम के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह एक व्यापक नमूना (सैंपल) था, जो किसी भी सर्वेक्षण के सटीक होने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक था.