श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के द्वारा दायर की गई याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से मथुरा के सिविल न्यायाधीश के विरुद्ध वाद पर आपत्ति को लेकर निर्णय करने से पहले श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इसमें यह भी कहा गया था कि कृष्ण जन्मभूमि को वहीं बहाल किया जाए जहां वर्तमान में शाही मस्जिद ईदगाह स्थित है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों सुरेश कुमार मौर्य और पुनीत कुमार गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया गया है। इससे पहले भी याचिकाकर्ताओं ने मथुरा के सिविल न्यायाधीश के सामने वाद दायर किया था और उन्होंने अपने हित और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की मांग की थी।
हालांकि, शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने यह दावा किया था कि यह वाद पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ है, जिसमें निर्धारित किया गया है कि 15 अगस्त, 1947 के बाद मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।
पहले ही हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराये जाने की मांग की गई थी। उसके बाद सीनियर डिविजन कोर्ट ने अमीनी सर्वे का आदेश दिया था, लेकिन बाद में इस आदेश पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद शाही ईदगाह के पक्षकारों ने फास्ट ट्रैक सिविल सीनियर डिविजन कोर्ट के सामने याचिका दायर की थी।
यह मामला लंबे समय से चल रहा है और इसमें संवैधानिक और धार्मिक तत्वों के बीच विवाद उठ रहा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद यह मामला और
“श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट याचिका: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद खारिज किया, वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश अनुरोध अस्वीकारित”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से मथुरा के सिविल न्यायाधीश के विरुद्ध वाद पर आपत्ति को लेकर निर्णय करने से पहले वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने याचिकाकर्ताओं के द्वारा पेश की गई दलीलें सुनने के बाद, उन्होंने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले भी याचिकाकर्ताओं ने मथुरा के सिविल न्यायाधीश के सामने एक वाद दायर किया था और उन्होंने अपने हित और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की मांग की थी।
शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस वाद की पोषणीयता के संबंध में कहा है कि इसके खिलाफ पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा के तहत अपील की जानी चाहिए, जिसमें यह निर्धारित है कि 15 अगस्त, 1947 के बाद मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।
इस मामले में संवैधानिक और धार्मिक मुद्दों के बीच विवाद उठ रहा है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के बाद इस मामले की अगली कदम बढ़ाने की संभावना है।
“श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट याचिका: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद खारिज किया, वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश अनुरोध अस्वीकारित”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से मथुरा के सिविल न्यायाधीश के विरुद्ध वाद पर आपत्ति को लेकर निर्णय करने से पहले वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
इस वाद के तहत, याचिकाकर्ताओं ने मथुरा के सिविल न्यायाधीश के सामने अपने हित और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की मांग की थी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने इस याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट को अपने प्रस्तावित वाद को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिलेगा।
शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस वाद की पोषणीयता के संबंध में यह दावा किया है कि यह वाद पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ है, जो कि धारा के अनुसार निर्धारित करता है कि 15 अगस्त, 1947 के बाद मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।
इस मामले में संवैधानिक और धार्मिक मुद्दों के बीच विवाद उठ रहा है और हाईकोर्ट के निर्णय के बाद यह मामला और विवाद की आगे बढ़ने की संभावना है।
“श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट याचिका: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद खारिज किया, वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश अनुरोध अस्वीकारित”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से मथुरा के सिविल न्यायाधीश के विरुद्ध वाद पर आपत्ति को लेकर निर्णय करने से पहले वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे वैज्ञानिक सर्वेक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ने से रोक लग गई है।
यह विवाद बढ़ते धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों को दर्शाता है और श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के वाद के आगे बढ़ने की संभावना को देरी हो सकती है। इस मामले में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश अस्वीकारित किए जाने से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक स्थलों की प्रकृति और उनकी विचारधारा के प्रति संवैधानिक मामलों में बहुत महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं।
यह निर्णय श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट को एक प्रभावशाली झटका पहुंचाएगा। ट्रस्ट ने इस याचिका के माध्यम से अपने प्रस्तावित वाद को आगे बढ़ाने की उम्मीद की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। इससे पहले भी, ट्रस्ट ने मथुरा के सिविल न्यायाधीश के सामने एक वाद दायर किया था, लेकिन इसका परिणामस्वरूप वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश अनुरोध का अस्वीकार हुआ है।
शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने धारा के तहत अपील की है कि किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति 1947 के बाद नहीं बदली जा सकती है। इससे पूर्व, भीषण संघर्षों के कारण, श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच मामला संवैधानिक और सांस्कृतिक विवादों से घिरा हुआ रहा है।
इस मामले में अगले कदम के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। यह विवाद समाधान के लिए अदालती प्रक्रिया की आगे बढ़ाई जा सकती है और इसमें अगले चरण में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
यह मामला धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक मतभेदों के आधार पर अवगत कराता है, और इसे विवाद और विचारधारा के प्रति संवैधानिक मामलों के माध्यम से हल करने की जरूरत को परिलक्षित करता है।
“श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट याचिका: वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश अस्वीकारित, धार्मिक विवाद के बीच मामला जारी”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश के अनुरोध किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले भी मथुरा के सिविल न्यायाधीश के सामने याचिका दायर की गई थी, जिसमें धार्मिक विवादों को लेकर विवादित मामले के संबंध में राय मांगी जा रही थी।
इस विवाद के बीच मामले की गतिरोध अभी भी जारी है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा प्रस्तावित वाद को आगे बढ़ाने की उम्मीदें अधूरी रह गई हैं। यह मामला धार्मिक और सांस्कृतिक विवादों के बीच चरम पर जाने की संभावना को जन्म दे सकता है।
इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। यह विवाद अदालती प्रक्रिया के माध्यम से हल होने की संभावना है और इसमें आगे वैज्ञानिक सर्वेक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मतभेदों के बीच जन्मे इस मामले का संघर्ष संवैधानिक मामलों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।